स्फटिका शतमल्ल भस्म
द्रव्य –
लाल फिटकरी १६ तोले और सफेद सोमल १ तोला
विधि –
समान नाप वाले किनारी घिसे हुए दो बडे शराव लें शराव में फिटकरी का आधा चूर्ण डालें | उसमें खडडा कर सोमल का चूर्ण रख उपर शेष फिटकरी का चूर्ण डालें | और अंगुली से इस तरह दबा देवें | कि उपर से फिटकरी नीचे गिरकर सोमल न दिखे, फिर मुखमुद्रा कर १ सेर कण्डों की अग्नि देकर फूला भस्म बना लेवें | स्वांग शीतल होने पर सम्पुट को खोल फुल को पीस लेवें | इस भस्म में से संखिये का अल्प अंश उड जाता है |
मात्रा –
१ से २ रत्ती दिन में दो बार शहद मिश्री या नागरबेल के पान के साथ |
उपयोग –
इस भस्म का उपयोग नूतन कफ ज्वर शीतप्रधान ज्वर एकाहिक तृतीयक और चातुर्थिक आदि विषमज्वर तथा पूयजन्य ज्वारों में होता है | मलेरिया में ज्वर बढने के ४ घण्टे पहले १ बार दें फिर २ घण्टे पहले दूसरी बार देने, से ज्वर रुक जाता है | जीर्ण विषमज्वरों में दिन में दो बार ४ से ६ दिन तक देते रहने से ज्वर निवृत हो जाता है |
सूचना –
कभी-कभी पित्तप्रधान प्रकृतिवालों को कण्ठ में शुष्कता शिर भारी होना चक्कर आना, और व्याकुलता आदि लक्षण उत्पन्न होते है | ऐसा होने पर दूध अथवा निंबू की सिंकजी पिलानी चाहिए |